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दिन सुबह खड़कुआ कटरीना और राहुल बहुत भोर में जाग गये नित्यकर्म से निवृत
होकर तिमूर की दातुन की फिर सबने ठंडे पानी से बारी बारी झरने पर रीठे से
स्नान किया फिर राख के ढौले से कपड़े धोकर सुखाने टांग दिये तब तक खड़कुआ ने
आलू मटर टमाटर की तरकारी रोटी और दूध का नाशता तैयार किया सभी ने नाशता
किया और खड़कुआ से कहा कि हमें भी साथ रख
लो हम भी खेती बाड़ी करेंगे मिल बांट कर खायेंगे इस बात पर खड़कुआ खुश हो गया
और राहुल गोबर साफ करने लगा कटरीना गाय दुहना सीखने लगी फिर वे खेतों की
तरफ निकल गये और खेतों मेँ काम करने लगे राहुल जुताई करने लगा कटरीना घास
काटने लगी उसने दुपट्टे से अच्छी तरह घूंघट काट रखा था और राहुल ने गमछे से
सर बांध रखा था।कटरीना और राहुल मन लगाकर खेतों में काम करने लगे वे तेजी
और कुशलता से काम सीखने लगे।
दोपहर डेढ़ बजे खड़कुआ ने दाल भात और तोरी की सब्जी और टमाटर की कढ़ी बनाई सबको भूख लग गयी थी हाथ पाँव धोकर सबने खूब खाना खाया थोड़ी देर आराम करने के बाद सब अपने अपने कामों में जुट गये।
इधर देश में राहुल की तलाश में कई सुरक्षा ऐजेंसियां शहरों में खोजबीन कर रही थी राहुल न मिला तो उनके बेरोजगार होने की आशंका थी और कटरीना की तलाश में सलमान और रणवीर समेत पूरी फिलम इंडस्ट्री जुटी थी।हांलाकि राहुल और कटरीना ने पत्र छोड़े थे कि उनकी चिंता न करें वे कहीँ अज्ञात जगह पर सकुशल हैं।पर कई फिल्में और विज्ञापन कटरीना के बिना अधूरे थे और मायानगरी में इस रुपसी के बगैर सब कुछ अधूरा था।उधर चुनाव सर पर थे और राहुल बाबा गायब थे।मीडिया में रोज नयी कहानियां थीं...
इधर राहुल कटरीना और खड़कुआ मेहनत में लगे थे और इस जिंदगी से बहुत खुश थे।खड़कुआ को अंग्रेजी और राजनीती का ज्ञान राहुल दे रहा था और पर्सनैलिटी डवलपमेंट कटरीना सिखा रही थी बदले में खड़कुआ उनको आम आदमी की जिंदगी की कठिन साधना में सधना सिखा रहा था।
खड़कुआ की खेती इस बार बढ़ने की संभावना थी कटरीना और राहुल खेतों में खूब काम करते और फसल फल सब्जी बेचने खड़कुआ खच्चर पे माल लाद के जाता था कटरीना और राहुल यहां छिपकर मेहनत करते हुए खुश थे और खड़कुआ इन नये मित्रों के आ जाने से खुश था।राहुल कटरीना यहाँ हैं ये खड़कुआ ने किसी को भी नहीं बताया था।खड़कुआ का गाँव सड़क से बहुत दूर था और वहां कोई आता जाता भी न था।लोग पहाड़ों के दूरस्त गाँवों को छोड़ शहर कस्बे सड़क के करीब आ गये थे।
राहुल को इस सादगी में जीते जीते देश में पालिटिकल बदलाव का एक कारगर रोड मैप की सफल योजना समझ में आने लगी जो भारी सफल होनी तय थी।और कटरीना रीठे से बाल धोते धोते सुनहरे बालों वाली पहले से ज्यादा फिट युवती लगने लगी उसकी फिटनेस सुधर गयी और रंग रुप बिना मेकअप और निखर आया।
एक दिन राहुल को अपनी कुशलता का समाचार पहुंचाने का एक नायाब विचार आया उसकी कुशलता की खबर भी पहुंच जाती पर राहुल तक कोई भी लाख कोशिशों से भी न पहुंच पाता।आखिर क्या थी ये योजना? आगे पढ़िए....
दोपहर डेढ़ बजे खड़कुआ ने दाल भात और तोरी की सब्जी और टमाटर की कढ़ी बनाई सबको भूख लग गयी थी हाथ पाँव धोकर सबने खूब खाना खाया थोड़ी देर आराम करने के बाद सब अपने अपने कामों में जुट गये।
इधर देश में राहुल की तलाश में कई सुरक्षा ऐजेंसियां शहरों में खोजबीन कर रही थी राहुल न मिला तो उनके बेरोजगार होने की आशंका थी और कटरीना की तलाश में सलमान और रणवीर समेत पूरी फिलम इंडस्ट्री जुटी थी।हांलाकि राहुल और कटरीना ने पत्र छोड़े थे कि उनकी चिंता न करें वे कहीँ अज्ञात जगह पर सकुशल हैं।पर कई फिल्में और विज्ञापन कटरीना के बिना अधूरे थे और मायानगरी में इस रुपसी के बगैर सब कुछ अधूरा था।उधर चुनाव सर पर थे और राहुल बाबा गायब थे।मीडिया में रोज नयी कहानियां थीं...
इधर राहुल कटरीना और खड़कुआ मेहनत में लगे थे और इस जिंदगी से बहुत खुश थे।खड़कुआ को अंग्रेजी और राजनीती का ज्ञान राहुल दे रहा था और पर्सनैलिटी डवलपमेंट कटरीना सिखा रही थी बदले में खड़कुआ उनको आम आदमी की जिंदगी की कठिन साधना में सधना सिखा रहा था।
खड़कुआ की खेती इस बार बढ़ने की संभावना थी कटरीना और राहुल खेतों में खूब काम करते और फसल फल सब्जी बेचने खड़कुआ खच्चर पे माल लाद के जाता था कटरीना और राहुल यहां छिपकर मेहनत करते हुए खुश थे और खड़कुआ इन नये मित्रों के आ जाने से खुश था।राहुल कटरीना यहाँ हैं ये खड़कुआ ने किसी को भी नहीं बताया था।खड़कुआ का गाँव सड़क से बहुत दूर था और वहां कोई आता जाता भी न था।लोग पहाड़ों के दूरस्त गाँवों को छोड़ शहर कस्बे सड़क के करीब आ गये थे।
राहुल को इस सादगी में जीते जीते देश में पालिटिकल बदलाव का एक कारगर रोड मैप की सफल योजना समझ में आने लगी जो भारी सफल होनी तय थी।और कटरीना रीठे से बाल धोते धोते सुनहरे बालों वाली पहले से ज्यादा फिट युवती लगने लगी उसकी फिटनेस सुधर गयी और रंग रुप बिना मेकअप और निखर आया।
एक दिन राहुल को अपनी कुशलता का समाचार पहुंचाने का एक नायाब विचार आया उसकी कुशलता की खबर भी पहुंच जाती पर राहुल तक कोई भी लाख कोशिशों से भी न पहुंच पाता।आखिर क्या थी ये योजना? आगे पढ़िए....
(जारी.......)
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दीप पाठक |
दीप पाठक सामानांतर के साहित्यिक संपादक है. इनसे deeppathak421@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.
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