हरिया हैरी बन जाता है और जसुवा जैक दीपुआ डैव बन जाता है रामुली रैमी बन जाती है और परुली पैरी,कुमाँउनी दलित से इसाई बने नाम गजब ट्विस्ट ले लेते हैं।कुमाँउनी में एक कहावत है-"हरिया हैरी जसुवा जैका,कैल नी जाणीं च्याल छन कैका ।" (हरिया जो हैरी है और जसुवा जैका कोई नहीं जान पाया ये किसके बेटे हैं)।
भारतीय वर्णव्यवस्था और जातिवाद समाज का कोढ़ है सभ्यता के इतने पड़ाव पार करने के बाद भी दलित और सवर्ण समाज में रोटी बेटी के रिशते नहीं भयंकर छुआछूत है ऐसे में दलित हिंदू धर्म में रहते हुए भी बांमन ठाकुर और बनिये की तिरस्कृत तुच्छता मेँ घुटते हैं।योरोपीय और पच्छिमी समाज में काले गोरे का भेद है पर मजबूत नागरिक कानूनों ने ये भेद मजबूती से मिटाया है,हाँलांकि कुछ समय पहले तक अमरीकी फिल्मों में सारे चोर और गुंडे काले लोग ही दिखाये जाते थे।
जब आप धरम बदल लेते हैँ तो कुछ हद तक मुक्ति का अनुभव करते हैं अब राम से इतर उनके पास गोरे यीशू होते हैं और उनकी किताबों में स्वर्ग के बड़े सुंदर फोटो के अलावा उनको कुछ नहीं मिलता क्योंकि धर्म बदलते ही आप गोरे और सुनहरे बालों वाले अंग्रेज तो नहीं बन जाते शकल रुप रंग तो वही रहता है।अगर रंग गोरा हो जाता तो पहले सारे सवर्ण धरम बदल लेते।
अब काला दलित हो या इसाई कथित सवर्णों को इससे क्या फरक पड़ता है?सवर्ण शब्द भी शायद अंग्रेजों का गोरा रंग और सुनहरे बालों को देखकर हीनताबोध में गढ़ा गया होगा।
हां तो कल में नये इसाइयोँ के बीच था जहां घरों में कलेंडर में यीशू क्रूस पर लटके बेबसी से इन नयी 'इब्ने मरियम' (खुदा की भेड़ें) को देख रहे थे और घरों में बाइबल के उपदेश जगह-जगह दिख रहे थे फिर प्रार्थना हाल में गया जहां नये युवक युवतियों ने "ओ यीशू फीशू" टाईप प्रार्थना गायी मुझे लगा कि खड़े होकर 'ओम जय जगदीश हरे' का इसाई अनुवाद गाया जा रहा है।
उसके बाद उधर के पंडीजी यानि फादर ने जो चोगे में घुसे टिपीकल पहाड़ी लगे उन्होँने हिंदू धरम की नये अधिकार से निंदा की और मूलत: जातिवाद को ही गरियाया,पर जब मैंने उनको बताया कि अब आपके ही दलित रिशतेदार जो राम की कैद में फंसे हैं वो आपको बिरादरी बाहर मानते हैं और नौकरी में आरक्षण अब भी चाहिए?या यीशू ने सारे धन धान्य के कोठार भर दिये?वे थोड़ा अकुलाए छटपटाऐ पर अंतिम अस्त्र छोड़ा "तुम तो नास्तिक हो!" मैंने कहा यीशू खुद नास्तिक था कामरेड था साधारण आदमी था,पर उसकी लड़ाई को आगे बढ़ाने के बाजाए इसाई पंडितों ने उसको भगवान बना डाला!
सरमन आफ द माउंट पर मेरे तर्कों से उधर के पंडिजी हैरत में थे बहस अच्छी हुई कुछ युवक युवतियों के काफिर होने का अंदेशा था सो उनको फादर ने कहा आप लोग जायें फिर बंद कमरे मेँ देशी शराब निकाली बोले "अपना बपतिस्मा करा लो इसाई बन जाओ।"मैंने कहा किसी अंग्रेज गोरी से शादी कराओ तय रहा।"
फिर हुआ यूं कि दीपुआ डैव तो न बना पर देशी दारु और कटोरे में मीट खाते हुए हैरी फिर से हरिया बन गया।कलेंडर में यीशू के होंठों पे मुस्कान थी।
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दीप पाठक |
दीप पाठक सामानांतर के साहित्यिक संपादक है. इनसे deeppathak421@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.
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