Thursday, 27 September 2012
एक नज़र यहाँ भी
बाबा नुसरत फ़तेह अली खान साहब की एक बेजोड़ क़व्वाली "सांसों की माला पे सिमरूं में पिय का नाम ", बाबा नुसरत की बंदिशों में सुरों की जो जुगलबंदी देखने को मिलती है वो कहीं और नहीं। समय हो तो जरूर सुनें।
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